Friday, February 29, 2008

जिन्दगी

जिन्दगी
ये जिन्दगी एक जुआ है
जो कभी नही सोचा
यंहा वो भी हुआ है
हुआ जो भी, लगता है कुछ खास नही
क्योंकि खास का कोई एहसास नही
एहसास शायद इस कर नही ,खास शायद कुछ था ही नही
जिन्दगी ओ जिन्दगी
जिन्दगी में अक्सर ऐसा हुआ है
जो कभी नही सोचा
यंहा वो भी हुआ है
इसलिए जो हो गया , शायद वह खास नही
और जो होगा, शायद खास है वही

1 comment:

राजीव तनेजा said...

उम्मीद पे दुनिया कायम है...
देखो...शायद आने वाला समय ही खास हो...
इतना ज़रूर है कि गुज़रा वक्त कभी लौट के आता नहीं...
इसलिए आओ चलो..."हम आज को भरपूर जी लें"...

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